Saturday, December 6, 2008

भ्रमित है जनता

देश मै आज जिस तरह का माहोल है उससे सामान्य जन अपनी भूमिका को लेकर आशंकित है,युवा तो बुरी तरह से भ्रमित है !कई युवक ऐसे भी है, जिनको कहते सुना है "भाड़ मै जाय देश ,देश ने हमे दिया क्या है "देश भक्तो की श्रंखला वाले इस देश मै ये कपूत कहा से आ गये ? तो इनके जनक है- देश का स्वार्थी व अक्षम नेतृत्व !देशवासियों को दिशा देने वाले माध्यमो का आपसी प्रति स्पर्धा मै खुद ही दिशा भटक जाना है !देश के नेतृत्व करने वालो की कोई स्पष्ट नीति नहीं है ,और विलासिता का सुख भोगते -भोगते ,आपत्ति के समय भी वे, विलासिता के मद में चूर ऐसे ब्यान देते है जो जनमानस के आहत मन को कचोट जाते है फिर रही सही कसर मीडिया पूरी कर देता ,उस आहत और कचोट गये मन पर मिर्च,और नमक छिड़क कर (उस ब्यान को बार -बार दिखा कर ) !क्या लोकतंत्र के इस चोथे स्तम्भ के कर्तव्य की इतिश्री मात्र इसमें है की वो देश के सभी लूट -मार ,बलात्कार ,खून- खराबा,हत्या ,बम्ब धमाके ही दिन भर दिखाते रहे !क्या देश मै कही कोई सकारात्मक कार्य नहीं हो रहा जो ,देश के युवाओ के सामने "आदर्श ' बने, और उनकी भ्रमित सोच को परिवर्तित कर सके !

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