"मै जन्मा आजाद ,मुझे बंधन स्वीकार नहीं ! टूक-टूक तन हो ,लेकिन झुकना स्वीकार नहीं ! यु तो बहती धारा मै शव भी बह जाते है !परन्तु धार मोड़कर तो जीवट ही चल पाते है !"प्रण" वालो को प्रण ही प्यारा ,प्राणों से प्यार नहीं !"चरेवेति" ही गाता हू अब रुकना स्वीकार नहीं" ___________________________ इस विचार का वाहक मै "सुनील " स्वभाव से दृढ संकल्पी ,जुझारू ,भावुक हू! राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक सन १९८६ से हू, कला, लेखन, संगीत ,व खेलो मै रूचि के साथ ही राष्ट्रीय विषयो पर समाज जागरण हेतु स्वयम के स्तर पर गतिविधि चलाते रहना मेरी रूचि है दर्शन,आध्यात्म,इतिहास व भारतीय संस्कृति ये विषय मेरे प्रिय है ! शारीरिक शिक्षक के रूप कार्यरत मै, आवाज की दुनिया मै अपना मुकाम बनाना चाहता हू! शिवाजी माहराजे ,वीर सावरकर,डॉक्टर हेडगेवार,नेपोलियन, के जीवन से आंदोलित "मै" दुनिया फतह करना चाहता हू ! आसमान छूना चाहता हू! ________________________________________जब तक ध्येय न पूरा होगा ,तब तक पग की गति न रुकेगी !आज कहे चाहे जो दुनिया कल को बिना झुके न रहेगी !"