Monday, January 26, 2009

द्वंद

लेख लिखने बेठा ही था, की धर्मपत्नी ने विषय (द्वंद )का अर्थ पूछ लिया !उन्हें अर्थ समझाते हुए,यह आभास हुआ की इस शब्द का भी अनेक अन्य शब्दों की तरह, कई बार उच्चारण तो किया, परन्तु कभी अर्थ पर विशेष ध्यान नहीं दिया !द्वंद का भाव हर सन्दर्भ मै एक सा ही रहता है ,फिर चाहे वह वेचारिक द्वंद हो ,या प्रत्यक्ष गुत्थम -गुत्था !दोनों ही संदर्भो मै दो भिन्न मतों के आपस में संघर्ष का भाव ही मुखरित होता है द्वंद को परिभाषित करने व शब्दों की करामात दिखाने में 'मै' विषय "द्वंद" के माध्यम से जिस उधेड़- बुन को आपके सामने प्रस्तुत करना चाहता था, उसमे कुछ पंक्तियों का विलम्ब हो गया ! हुआ यू की जबसे मै ब्लॉग लिखने लगा ,तबसे यह द्वंद मेरे मन मै आया की ,आखिर मेरे लेखो की दिशा क्या हो ?या मेरे लिखने के पीछे ध्येय क्या हो ?{क्योकि , अक्सर लेखो के कारण लेखको की पहचान होती है की फलाना लेखक फल विधा मै लिखता है !} ग्रामीण परिवेश की हर छोटी से छोटी ह्रदय स्पर्शी बातो की स्मृतिया मन मै संजोये हू ,इसलिए इन विषयो का स्मरण आते ही मन, गाय दुहने से पहले ,बछडे की रस्सी खुलने के बाद ,उसकी प्रतिक्रिया का अनुसरण करता है !तो वही देश की संस्कृति व अस्मिता की रक्षा के लिए हुए ,अब तक के पराक्रम व बलिदानों की श्रंखलाओ के बावजूद ,वर्तमान देश की स्थिति के लिए जिम्मेदार भ्रष्ट नेता व स्वयम के स्वार्थो की पूर्ति तक ही जिनकी सृष्टि है ,ऐसे युवाओ को को देख मन खिन्न हो जाता है ! तो लेखनी वंशी की मीठी तान भूलकर आग उगलने लगती है !तब खुद को शांत करने के लिए ,अपने द्वारा दूसरो को कहे शब्दों का सहारा लेता हू की "बड़े लक्ष्य के लिए शांत चित्त व तीव्र प्रयास ही समाधान है !और ये परिस्तिथी आज की तो नहीं ,हर काल मै कइयो के मन मै ये द्वंद उत्पन्न हुआ होगा !फिर खोजने लगता हू अपने समान ही उद्विग्न उन पुरुषों को इतिहास और वर्तमान में ! तो ध्यान आता है की अटल जी जेसे दार्शनिक राजनेता ने जहा एक और द्वंद मै पड़ कर "राह कौन सी जाऊ मै "लिखा वही "आओ फिर से दिया जलाए "भी लिखा है !और भारतीय दर्शन मै तो मानव जीवन के सारे द्वंदों पर तर्क -वितर्क के बाद अंत मै नेति -नेति ही कहा है !अतः मुझे मेरे द्वंद के समाधान व उसके बाद अंत तक अपने पाठ(किरदार )को ठीक शांत चित्त होकर निभाना है

Thursday, January 22, 2009

स्लम-डॉग मिलिनियर

हालाकि स्लम डॉग मिलेनिअर मैंने देखी नहीं ,परन्तु जब से इसे गोल्डन ग्लोब अवार्ड मिला है और यह फिल्म अखबारों की सुर्खियों मै आई तो मेरा ध्यान इस फिल्म की और गया !परन्तु फिल्मो मै मेरी बहुत अधिक रूचि न होने के कारण मैंने इसमें विशेष ध्यान नहीं दिया !लेकिन जब इस फिल्म ने विवाद का रूप लिया तो बरबस ही मेरा ध्यान इस फिल्म व इससे जुड़े विवाद पर गया तो मै विचलित हो गया ,कुछ कहने व लिखने को ! {हमारे देश मै अनेक ऐसे यूरो -इंडियन है जो स्वयम की प्रसिद्धी की चाह मै किसी हद तक गिर सकते है ये लोग सामाजिक कार्यो का मुखोटा ओड़े है और इनके परन्तु इनके कृत्य देश की संस्कृति व पहचान के लिए घातक है जिनमे दीपा मेहता ,अरुंधती रॉय,मकबूल फिजा हुस्सेन ,नंदिता दास ,सबाना आजमी जेसे नाम मुखर है क्योकि यूरोप मै इक ऐसा वर्ग विकसित हुआ है जो भारत को विश्व पटल पर दरिद्र व भ्रष्ट देश दिखाना चाहता है इसीलिए यह वर्ग इन यूरो -इंडियन की घिनोनी मानसिकता को मेगसेसे व बुकर पुरस्कार देकर पोषित करता है } मै इस फिल्म को भी इसी श्रेणी मै देखता हू !नहीं तो क्या आज तक क्या ए.आर.रहमान ने इससे अच्छा संगीत नहीं दिया ?फिर क्यों उन्हें इसी फिल्म के माध्यम से ये अवार्ड मिला ?दरअसल यह अवार्ड रहमान के संगीत को नहीं बल्कि ,भारत का दरिद्र रूप दिखाने वाली फिल्म के संगीतकार को इनाम मै मिला है ,और हम खुश है की रहमान ने इतिहास रच दिया !अब जरा फिल्म के नाम पर गोर करे "स्लमडॉग मिलिनियर "अर्थात "करोड़पति गरीब कुत्ता " इसे सुनकार किसी भी भारतीय का स्वाभिमान छलनी हो जायेगा !क्या यह भारतीयों को सीधे-सीधे गाली नहीं ? क्या यूरोप मै कही कोई खामी नहीं है ,कोई भ्रष्टाचार नहीं है फिर क्यों हमारा ही मजाक बनाया जाता है !इस सब के पीछे हमारे देश वासियों की स्वभिमान शून्यता का प्रतीक है !यदि आप टेक्नालोजी को छोड़ दे तो अन्य किसी मामले मै हम हालीवुड से पीछे नहीं है ,परन्तु जाने क्यों हमने आस्कर को ही श्रेष्टता का प्रमाण मान लिया है कला और साहित्य मै जितना स्रजन हमने किया है उतना तुलनात्मक रूप मै शायद ही किसी ने किया हो !लेकिन हम है की मेगसेसे और बुकर जेसे पुरस्कारों की और टकटकी लगाये रहते है व इनको ही अपनी सार्थकता का प्रमाण मानते हैहमारे बुद्धिजीवी किस कदर पश्चिम पर आसक्त है इसका प्रमाण है की बिस्मार्क पश्चिम का सरदार पटेल नहीं है ,न ही नेपोलियन यूरोप का समुद्रगुप्त ही है, लेकिन कालिदास भारत का शेक्स्पीअर है ! आज इस मानसिकता के विरुद्ध सजग व सक्रीय होने की आवश्यकता है ,नहीं तो हमारा अस्तित्व खतरे मै पड़ते देर न लगेगी !!!!!!!!!!